छह आवश्यक

छह आवश्यकों में व्यस्त होना बहुत पुण्य का उदय,
और
संयम भी माना जाता है ।

आचार्य श्री विद्यासागर जी

Share this on...

One Response

  1. आवश्यक का मतलब साधुओं के लिए अनिवार्य रूप से जो क़ियाए करना होती हैं वह कहलाती हैं। यह छह प़कार की होती हैं, सामायिक,स्तवन,वन्दना,प़तिकमण,प़त्याख्यान और कायोत्सर्ग। अतः आचार्य श्री विद्यासागर महाराज जी का कथन सत्य है कि छह आवश्यकों में व्यस्त होना बहुत पुण्य का उदय होता है और इसको संयम भी माना जाता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This question is for testing whether you are a human visitor and to prevent automated spam submissions. *Captcha loading...

Archives

Archives

November 29, 2020

November 2024
M T W T F S S
 123
45678910
11121314151617
18192021222324
252627282930