जन्म जयंती स्मृति रूप, भगवान के निर्वाण के बाद मनायी जाती है ।
जन्म कल्याणक भगवान के समक्ष उनके जन्म के समय देवता और मनुष्य मनाते हैं ।
मुनि श्री सुधासागर जी
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कल्याणक– तीर्थंकरों के जीवन में पांच प़सिद्व अवसर आते हैं जो जगत के लिए कल्याणकारी होते हैं,इनको पंचकल्याणक कहते हैं। गर्भ, जन्म, दीक्षा, ज्ञान और मोक्ष कल्याणक है,ये पांच होते हैं। भरत और ऐरावत क्षेत्र में पांचों कल्याणक वाले तीर्थंकर कहलाते हैं।
अतः उक्त कथन सत्य है कि जन्म जयंती स्मृति रुप, जो भगवान् के निर्वाण के बाद मनायी जाती है। जन्म कल्याणक भगवान् के समक्ष उनके जन्म के समय देवता और मनुष्य मनाते हैं।
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कल्याणक– तीर्थंकरों के जीवन में पांच प़सिद्व अवसर आते हैं जो जगत के लिए कल्याणकारी होते हैं,इनको पंचकल्याणक कहते हैं। गर्भ, जन्म, दीक्षा, ज्ञान और मोक्ष कल्याणक है,ये पांच होते हैं। भरत और ऐरावत क्षेत्र में पांचों कल्याणक वाले तीर्थंकर कहलाते हैं।
अतः उक्त कथन सत्य है कि जन्म जयंती स्मृति रुप, जो भगवान् के निर्वाण के बाद मनायी जाती है। जन्म कल्याणक भगवान् के समक्ष उनके जन्म के समय देवता और मनुष्य मनाते हैं।