जन्म/मरण के परे
मोटी सी किताब में यदि बीच में एक ही पन्ना हो, पहले तथा बाद के सारे पन्ने फटे हों तो ज़िज्ञासा तो होगी न ! कि उन पर क्या लिखा हुआ था।
वह एक पन्ना वर्तमान का है।
वैसे मरने के बाद प्रियजनों के लिये अधिक से अधिक धन छोड़कर जाना भी चाहते हैं, पर खुद के भूत/ भविष्य के बारे में ज़िज्ञासा/ चिंता/ तैयारी कुछ भी नहीं !!
मुनि श्री प्रमाणसागर जी
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मुनि श्री कथन है कि मरने के बाद प़ियजनो के लिए अधिक से अधिक धन छोडकर जाना चाहते हो, लेकिन खुद के लिए भूत एवं भविष्य के बारे में जिज्ञासा, चिंता या तैयारी कुछ भी नहीं होती है! अतः जीवन में जन्म मरण के बीच धर्म से जुडकर भविष्य में आत्मा के कल्याण के लिए कुछ करके जाना चाहिए ताकि जीवन का कल्याण हो सकता है!