हर मनुष्य जीवन जी रहा है, लेकिन स्वयं को नहीं पहिचानता है।यदि मनुष धर्म से जुड जावे तब अपने आत्म स्वरूप की पहिचान होने पर जीवन को सही तरीके से जी सकता है।यदि मनुष धर्म से नहीं जुडता है तो उसका जीवन निरर्थक है। Reply
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हर मनुष्य जीवन जी रहा है, लेकिन स्वयं को नहीं पहिचानता है।यदि मनुष धर्म से जुड जावे तब अपने आत्म स्वरूप की पहिचान होने पर जीवन को सही तरीके से जी सकता है।यदि मनुष धर्म से नहीं जुडता है तो उसका जीवन निरर्थक है।