जीवन एक —
1. संघर्ष – बिना गुरु के,
2. खेल – गुरु मिल जाने पर,
3. उत्सव – गुरु के बताये रास्ते पर चलने से।
(अपूर्वश्री)
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One Response
जीवन जीने की कला सिर्फ गुरुओं से मिलती है।
अतः उपरोक्त उदाहरण दिया गये हैं वह पूर्ण सत्य हैं । संघर्ष तो बिना गुरु,खेल के लिए गुरु की आवश्यकता रहती है, जीवन में उत्साह तभी संभव है कि गुरुओं के दिखाए हुए रास्ते पर चलना आवश्यक है।
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जीवन जीने की कला सिर्फ गुरुओं से मिलती है।
अतः उपरोक्त उदाहरण दिया गये हैं वह पूर्ण सत्य हैं । संघर्ष तो बिना गुरु,खेल के लिए गुरु की आवश्यकता रहती है, जीवन में उत्साह तभी संभव है कि गुरुओं के दिखाए हुए रास्ते पर चलना आवश्यक है।