जीवन जीने के अलग-अलग तरीके होते हैं। उपरोक्त कथन सत्य है कि जीवन में परेशानियां कितनी भी हों, चिंता करने से और बड़ी हो जाती हैं, खामोश होने पर काफी कम हो जाती हैं, जबकि सब़ करने से समाप्त हो जाती हैं । परमात्मा को शुक़याना/ धन्यवाद करने पर खुशियों में बदल सकती हैं।
अतः जीवन में भगवान् के प्रति कृतज्ञता का भाव होना परमावश्यक है। जीवन में धैर्य रखने से दुःख शान्त हो सकते हैं।
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जीवन जीने के अलग-अलग तरीके होते हैं। उपरोक्त कथन सत्य है कि जीवन में परेशानियां कितनी भी हों, चिंता करने से और बड़ी हो जाती हैं, खामोश होने पर काफी कम हो जाती हैं, जबकि सब़ करने से समाप्त हो जाती हैं । परमात्मा को शुक़याना/ धन्यवाद करने पर खुशियों में बदल सकती हैं।
अतः जीवन में भगवान् के प्रति कृतज्ञता का भाव होना परमावश्यक है। जीवन में धैर्य रखने से दुःख शान्त हो सकते हैं।