जीवन
जीवन रेल की पटरी नहीं जो हमेशा समानांतर चले,
यह तो गंगा की धारा जैसी होनी चाहिये जो कहीं गिरती है, कहीं रूकावटें आती हैं,
पर फिर भी अपनी पवित्रता नहीं छोड़ती है ।
मुनि श्री तरूणसागर जी
जीवन रेल की पटरी नहीं जो हमेशा समानांतर चले,
यह तो गंगा की धारा जैसी होनी चाहिये जो कहीं गिरती है, कहीं रूकावटें आती हैं,
पर फिर भी अपनी पवित्रता नहीं छोड़ती है ।
मुनि श्री तरूणसागर जी
One Response
Tarun Vidya sager guru, taro mujhe rashi karuna kar karunakaro, kar se do ashish ,yahi prathna app se karuna se kar jor pag apag pal pal badhe chelo moksh mahel ke or.