अनंतकायिक जीव में – प्रत्येक जीव कम, निगोदिया ज्यादा होते हैं।
प्रत्येक-शरीर जीव में – निगोदिया कम।
मुनि श्री प्रणम्यसागर जी
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4 Responses
जीव का मतलब जो जानता है, देखता है, इनमें चेतना रहती है।जीव दो प़कार के होते हैं संसारी जीव तो जन्म मरण में लगे रहते हैं, जबकि आत्मपुरुषार्थ करने पर मोक्ष पद पर पहुंचते हैं। अतः मुनि महाराज का कथन सत्य है कि अनंतकायिक जीव में प़त्येकजीव कम एवं निगोदिया ज्यादा होते हैं। प़त्येकशरीर जीव में निगोदिया कम होते हैं।
वैसे तो अनंतकायिक दिखते नहीं हैं, पर उनके very close काई होती है पर उसमें भी प्रत्येक जीव तो होते ही हैं।
2) हम प्रत्येक जीव हैं पर हम में भी अनंतकायिक भी रहते हैं।
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जीव का मतलब जो जानता है, देखता है, इनमें चेतना रहती है।जीव दो प़कार के होते हैं संसारी जीव तो जन्म मरण में लगे रहते हैं, जबकि आत्मपुरुषार्थ करने पर मोक्ष पद पर पहुंचते हैं। अतः मुनि महाराज का कथन सत्य है कि अनंतकायिक जीव में प़त्येकजीव कम एवं निगोदिया ज्यादा होते हैं। प़त्येकशरीर जीव में निगोदिया कम होते हैं।
In donon ka example mil sakta hai, please?
वैसे तो अनंतकायिक दिखते नहीं हैं, पर उनके very close काई होती है पर उसमें भी प्रत्येक जीव तो होते ही हैं।
2) हम प्रत्येक जीव हैं पर हम में भी अनंतकायिक भी रहते हैं।
Okay.