जैन-धर्म के सिद्धांत/आचरण बहुत ऊँचे स्तर के हैं, उन ऊँचाइयों पर कम लोग ही पहुँच पाते हैं,
जैसे एवरेस्ट पर विरले, तलहटी पर अनेक ।
मुनि श्री सुधासागर जी
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जैन—जिन्होने काम,क़ोध,मोह आदि विकारों को जीत लिया है वे जिन या जिनेन्द्र कहलाते हैं अथवा जिनेन्द्र भगवान् के उपासक को जैन कहते हैं। अतः जैन धर्म के सिद्धांतों और आचरण बहुत ऊंचे स्तर के हैं इसलिए उन ऊंचाइयों पर बहुत कम लोग पहुंच पाते हैं,इसी प्रकार एवरेस्ट पर विरले ही पहुंचते हैं जबकि तलहेटी पर अनेक होते हैं।
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जैन—जिन्होने काम,क़ोध,मोह आदि विकारों को जीत लिया है वे जिन या जिनेन्द्र कहलाते हैं अथवा जिनेन्द्र भगवान् के उपासक को जैन कहते हैं। अतः जैन धर्म के सिद्धांतों और आचरण बहुत ऊंचे स्तर के हैं इसलिए उन ऊंचाइयों पर बहुत कम लोग पहुंच पाते हैं,इसी प्रकार एवरेस्ट पर विरले ही पहुंचते हैं जबकि तलहेटी पर अनेक होते हैं।