जैन दर्शन तो सम्प्रदाय है, व्यक्त्तिगत विचार/ चिंतन नहीं, महावीर/ आदिनाथ भगवान का विचार नहीं।
इसलिये आनादि से अनंत तक एक ही सिद्धांत रहता है।
मुनि श्री सुधासागर जी
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जैन दर्शन आदिनाथ भगवान एवं महावीर भगवान का विचार ही है, यह सम्प़दाय नही है, न ही व. व्यक्तिगत विचार या चितन नही है! अतः जीवन में कल्याण करना हो तो जैन दर्शन का आनंद लेना अनिवार्य होगा!
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जैन दर्शन आदिनाथ भगवान एवं महावीर भगवान का विचार ही है, यह सम्प़दाय नही है, न ही व. व्यक्तिगत विचार या चितन नही है! अतः जीवन में कल्याण करना हो तो जैन दर्शन का आनंद लेना अनिवार्य होगा!