ज्ञान चेतना

कर्म, नोकर्म, भावकर्म से जुड़ा है जीव। जब तक पहली दो चेतनाओं(कर्मफल, कर्म चेतना) से ऊपर नहीं उठता तब तक ज्ञान चेतना का अनुभव नहीं।
इसीलिये केवलज्ञानी(अरहंत भगवान)को भी छोड़ दिया है(सिद्ध भगवान के ही ज्ञान चेतना मानी है)।

आचार्य श्री विद्यासागर जी

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6 Responses

  1. आचार्य श्री विद्यासागर महाराज जी ने ज्ञान चेतना का उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है।

  2. ‘कर्म, नोकर्म, भावकर्म से जुड़ा है जीव।’ Is statement ka kya meaning hai, please ?

    1. हर संसारी जीव कर्म, नोकर्म, भावकर्म से जुड़ा है। इसलिए उसके ज्ञान चेतना नहीं।

  3. Jab नोकर्म, भावकर्म bol diya to कर्म ko kyun alag se specify kiya? Ise clarify karenge, please ?

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