ज्ञान चेतना
कर्म, नोकर्म, भावकर्म से जुड़ा है जीव। जब तक पहली दो चेतनाओं(कर्मफल, कर्म चेतना) से ऊपर नहीं उठता तब तक ज्ञान चेतना का अनुभव नहीं।
इसीलिये केवलज्ञानी(अरहंत भगवान)को भी छोड़ दिया है(सिद्ध भगवान के ही ज्ञान चेतना मानी है)।
आचार्य श्री विद्यासागर जी
3 Responses
आचार्य श्री विद्यासागर महाराज जी ने ज्ञान चेतना का उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है।
‘कर्म, नोकर्म, भावकर्म से जुड़ा है जीव।’ Is statement ka kya meaning hai, please ?
हर संसारी जीव कर्म, नोकर्म, भावकर्म से जुड़ा है। इसलिए उसके ज्ञान चेतना नहीं।