आचार्य श्री विद्यासागर जी कहते हैं –
ज्ञान/ स्वाध्याय का फल होना चाहिये →
1. हान → हानि – अशुभ की (त्याग)
2. उपादान → ग्रहण – शुभ का
3. उपेक्षा → उपेक्षा – अशुभ तथा शुभ की भी, शुद्ध अवस्था।
निर्यापक मुनि श्री वीरसागर जी
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मुनि श्री वीरसागर महाराज जी ने ज्ञान एवं स्वाधाय का उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है। अतः ज्ञान एवं स्वाधाय ही अशुभ से शुभ की ओर पहुचाता है ।
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मुनि श्री वीरसागर महाराज जी ने ज्ञान एवं स्वाधाय का उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है। अतः ज्ञान एवं स्वाधाय ही अशुभ से शुभ की ओर पहुचाता है ।