एक “माटी” का “दिया”
सारी रात अंधियारे से लड़ता है..
तू तो “भगवान” का “दिया” (हुआ) है,
तू किस बात से डरता है !
(सुरेश)
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यह कथन बिलकुल सही है – – –
माटी का दीया, तपने पर भी, अपना वज़ूद बनाये रखता है ।अतः मनुष्यों को तपने के लिए, संयम धारण करना चाहिए; तभी मोक्ष के रास्ते पर चल कर, अपना कल्याण कर सकेंगे ।
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यह कथन बिलकुल सही है – – –
माटी का दीया, तपने पर भी, अपना वज़ूद बनाये रखता है ।अतः मनुष्यों को तपने के लिए, संयम धारण करना चाहिए; तभी मोक्ष के रास्ते पर चल कर, अपना कल्याण कर सकेंगे ।