तथास्तु / सदास्तु

गुरु वाचन कर रहे हों तो “तथास्तु” (ऐसा ही हो) कहें,
साधर्मी के लिये “सदास्तु” ।

मुनि श्री प्रमाणसागर जी

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6 Responses

  1. उक्त कथन सत्य है कि गुरु वाचन कर रहे हो तथास्तु यानी ऐसा ही हो कहें, जबकि साधर्मी के लिए सदास्तु कहा जाता है। उपरोक्त वाक्य शांतिधारा में उपयोग किए गए हैं, इसमें सदास्तु का मतलब दुनिया के सभी प्राणियों का कल्याण हो। जैन धर्म में शांतिधारा का बहुत बड़ा महत्व हैं जिसमें सभी को सुख शांति और समृद्धि रहे की भावना की जाती है।

  2. शांतिधारा करते समय सदास्तु कब और कोन कहेगा!?? और तथास्तु क़ब और कौन कहेगा??

    प्रश्न यह है कि शांति धारा में तथास्तु और सदास्तु शब्द का प्रयोग, कब, केसे और किसके द्वारा किया जाना चाहिए???

    1. तथास्तू…जब गुरु/ मुनिराज शांतिधारा करा रहे हों। जो आप बोल रहे हैं उसकी हम अनुमोदना करते हैं।
      सदास्तू…जब साधर्मी कर रहे हों। जो आप बोल रहे हैं सदा ऐसा ही हो।

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