प्राय: हम लोग शारीरिक तप करते हैं;
पर वाचन और मानसिक तप ज्यादा कारगर होते हैं ।
मुनि श्री प्रमाणसागर जी
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तप–इच्छायों का निरोध करना तप है।तप के द्वारा कर्मों की निर्जरा होती है।तप करने का उद्देश्य भी यही है।तप दो प्रकार का है,बाह्म तप और अभान्तर तप। अतः उक्त कथन सत्य है कि प्रायः हम लोग शारीरिक तप करते हैं जबकि वाचन और मानसिक तप ज़्यादा कारगर होते हैं।
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तप–इच्छायों का निरोध करना तप है।तप के द्वारा कर्मों की निर्जरा होती है।तप करने का उद्देश्य भी यही है।तप दो प्रकार का है,बाह्म तप और अभान्तर तप। अतः उक्त कथन सत्य है कि प्रायः हम लोग शारीरिक तप करते हैं जबकि वाचन और मानसिक तप ज़्यादा कारगर होते हैं।