जानवर / मनुष्य

(सुरेश)

अनर्थ-वाचन तथा मायाचारी के कारण मनुष्य जानवरों से भी पीछे रह जाता है ।

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4 Responses

  1. तिर्यंच- -पाप कर्म के उदय से जो तिरोभाव को प्राप्त होते हैं।तिरोभाव का मतलब नीचे रहना ,बोझ ढोना है। इनमें श्रेष्ठ जाती के हाथी, घोड़े, सिंह आदि जीवों में अणुव्रत पालन की क्षमता होती है। अतः आचार्य श्री का कथन सत्य है कि तिर्यंच सुनता है परन्तु बोलता नहीं है लेकिन तिर्यंच के जन्म होने के कुछ समय बाद सम्यग् दर्शन प्राप्त कर सकते हैं।
    अतः उक्त कथन सत्य है कि मनुष्य सुनता,सुनाता और बोलता भी है, इसके कारण वह उलझता है और उलझाता भी है। लेकिन तिर्यचं ऐसा नहीं करते हैं, इसलिए तिर्यंच मनुष्य के पूर्व सम्यग् दर्शन प्राप्त करने में समर्थ होते हैं।

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