नरक तथा तिर्यंच आयुबंध हो जाने पर शिखिर जी की यात्रा नहीं हो सकती, जैसे रावण नहीं कर पाया ।
जबकि समवसरण में जाकर तीर्थंकर के दर्शन कर सकते हैं, जैसे राजा श्रेणिक करते थे ।
मुनि श्री प्रमाणसागर जी
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उक्त कथन सत्य है कि नरक तथा तिर्यंच आयुबंध होने पर शिखर जी की यात्रा नहीं हो सकती है जैसे रावण के साथ हुआ था। जबकि समवसरण में जाकर तीर्थंकर के दर्शन कर सकते हैं, जैसे राजा श्रेणिक करते थे। अतः जीवन में पुण्य न होने पर आज भी लोग शिखर जी की यात्रा नहीं कर पाते हैं।
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उक्त कथन सत्य है कि नरक तथा तिर्यंच आयुबंध होने पर शिखर जी की यात्रा नहीं हो सकती है जैसे रावण के साथ हुआ था। जबकि समवसरण में जाकर तीर्थंकर के दर्शन कर सकते हैं, जैसे राजा श्रेणिक करते थे। अतः जीवन में पुण्य न होने पर आज भी लोग शिखर जी की यात्रा नहीं कर पाते हैं।