तीर्थंकर प्रकृति बंध

तीर्थंकर प्रकृति बंध 8वें गुणस्थान के ऊपर इसलिये नहीं क्योंकि आगे कषाय/संक्लेष बहुत मंद हो जाते हैं।

मुनि श्री सुधासागर जी

Share this on...

6 Responses

  1. मुनि श्री सुधासागर महाराज जी का कथन सत्य है कि तीर्थंकर प़कृति बंध 8वे गुणस्थान के ऊपर इसलिए नहीं क्योंकि आगे कषाय एवं संक्लेष बहुत मंद हो जाते हैं!

  2. ‘कषाय/संक्लेष’ ka ‘तीर्थंकर प्रकृति बंध’ ke saath kya correlation hai ?

    1. तीर्थंकर प्रकृति पाने का लोभ ही न हो/ ना मिलने पर संक्लेष न हो तो बंध होगा क्या ?

  3. Par na milne ka sanklesh kaise hoga, jab तीर्थंकर प्रकृति बंध ka malum hi nahi padta ?

    1. 8वें गुणस्थान से नीचे संक्लेष रहता है कि “मुझे मिले/ मिली होगी या नहीं” का संक्लेष, सो बंध होगा।
      8वें के ऊपर संक्लेष नहीं सो बंध नहीं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This question is for testing whether you are a human visitor and to prevent automated spam submissions. *Captcha loading...

Archives

Archives
Recent Comments

January 2, 2023

January 2025
M T W T F S S
 12345
6789101112
13141516171819
20212223242526
2728293031