तैजस काय योग नहीं होता है जैसे औदारिक/ वैक्रियक/ आहारक/ तीन मिश्र काय योग होते हैं। क्योंकि तैजस शरीर की वर्गणाओं से आत्मा में परिस्पंदन नहीं होता है।
मुनि श्री प्रणम्यसागर जी (तत्त्वार्थसूत्र- 2/53)
मुनि श्री प़णम्यसागर महाराज जी ने तैजस काय योग की परिभाषा बताई गई है वह पूर्ण सत्य है।
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मुनि श्री प़णम्यसागर महाराज जी ने तैजस काय योग की परिभाषा बताई गई है वह पूर्ण सत्य है।