तैयारी

घर से पर-घर जाने के लिए अच्छे कपड़े पहनते हैं। गाँव से पर-गाँव जाने के लिए तैयारी और ज्यादा, धन आदि रखना होता है। देश से विदेश जाने के लिए उनकी करेंसी (राइट हैंड ड्राइविंग) आदि।
लोक से परलोक जाने के लिए क्या तैयारी कर रहे हैं ?
वहाँ तो धन दौलत, कीर्ति भी साथ नहीं जाती, घर वालों को साथ चलने को बोलोगे तो वे नाराज़ हो जायेंगे/ दुश्मन बन जायेंगे। साथ में कुछ जाएगा तो वह होगा अपना कर्म। वे कर्म शुभ हैं या अशुभ यह चॉइस हमारे हाथ में है। शुभ/ अशुभ का निर्णय होगा कि आपने इंद्रियों तथा मन का सदुपयोग किया है या

दुरुपयोग !


प्रवचन आर्यिका श्री पूर्णमति माता जी (26 जनवरी)

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One Response

  1. आर्यिका श्री पूर्णमती माता जी ने तैयारी का उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है। अतः जीवन के कल्याण के लिए शुभ कर्मो के हमेशा तैयारी रखना परम आवश्यक है।

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