त्याग / लोभ

एक लोभी सेठ ने साधु की झोली में एक रुपया डाला। शाम को उसकी तिजोरी में एक हीरा बन गया|
अगले दिन सेठ ने झोली में बहुत सारे रुपये डाल दिये। शाम को कुछ नहीं हुआ। दुखी सेठ को सेठानी ने कहा –
सबक लीजिये → “त्याग फलता है, लोभ छलता है।“

रेनू जैन- नया बाजार मंदिर, ग्वालियर

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2 Responses

  1. त्याग एवं लोभ का उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है। अतः जीवन के कल्याण के लिए लोभ का त्याग करना परम आवश्यक है।

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