दर्द दिया नहीं जाता, लिया जाता है।
यदि आप लेना न चाहें तो कोई दे नहीं सकता।
मुनि श्री प्रमाणसागर जी
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2 Responses
मुनि श्री प़माणसागर महाराज जी ने दर्द का उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है। अतः जीवन में अपने दर्द को स्वयं ही सहना पडेगा लेकिन दूसरों के दर्द को मिटाने की कोशिश करना चाहिए। जैन धर्म की मूल भावना दया करना एवं संवेदनशील होना चाहिए।
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मुनि श्री प़माणसागर महाराज जी ने दर्द का उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है। अतः जीवन में अपने दर्द को स्वयं ही सहना पडेगा लेकिन दूसरों के दर्द को मिटाने की कोशिश करना चाहिए। जैन धर्म की मूल भावना दया करना एवं संवेदनशील होना चाहिए।
दर्द आपको हो रहा,
मत करिए अहसास।
दर्द नहीं फिर आएगा,
कभी तुम्हारे पास।।