दान आदि

दान…..जो श्रद्धा के साथ आंशिक रूप से दिया जाता है।
त्याग… तेरा तुझको अर्पण यानी कर्म का कर्म को* कर्म से मुक्ति** पाने के लिए।
भिक्षा… प्राय: अनादर के साथ जो दिया जाए।
भेंट… के साथ में स्वार्थ सिद्धि जुड़ी रहती है। गिफ्ट लिफ्ट लेने के लिए दी जाती है।

आर्यिका श्री पूर्णमति माता जी

* जो कुछ भी हमारे पास त्याग करने योग्य है, वह पुण्य रूपी कर्म का दिया हुआ ही तो है। उसको वापस करने का मतलब… पुण्य को और बढ़ाना। तो पुण्य कर्म ने दिया हमने कर्म को बढ़ा कर वापस किया।
** पाप कर्मों से मुक्ति, पुण्य कर्म तो बाद में अपने आप झर जाते हैं।

Share this on...

4 Responses

  1. आर्यिका श्री पूर्णमती माता जी ने दान आदि के उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है। अतः जीवन के कल्याण के लिए दान एवं त्याग को अपनाने का प़यास करना परम आवश्यक है।

  2. Can meaning of the following two sentences be explained please :
    1) ‘गिफ्ट लिफ्ट लेने के लिए दी जाती है।’
    2) ‘तो पुण्य कर्म ने दिया हमने कर्म को बढ़ा कर वापस किया।’

    1. 1) गिफ्ट कोई भी आदमी क्यों देता है ? ताकि उनसे कोई फेवर मिल सके। इसी को तो लिफ्ट कहते हैं
      2) आज तुम दान देने की स्थिति में हो/ दान देने के भाव हो रहे हैं, किस वजह से ? पुण्य कर्म के उदय से। अगर उसमें और पुण्य कर लोगे तो पुण्य को बढ़ाया ना ! पुण्य ने दिया तुमने पुण्य को बढ़ाकर वापस किया।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This question is for testing whether you are a human visitor and to prevent automated spam submissions. *Captcha loading...

Archives

Archives
Recent Comments

November 17, 2024

December 2024
M T W T F S S
 1
2345678
9101112131415
16171819202122
23242526272829
3031