दिगम्बर मुद्रा
जैन धर्म में सबसे प्राचीन होते हैं तीर्थंकर। हम जिसको रोल मॉडल बनाते हैं उनका बल्ला आदि कुछ अपने पास रखकर अपने को कृतार्थ फील करते हैं। तीर्थंकर के पास तो कुछ वस्तु होती नहीं, पीछी कमंडल भी नहीं। पर पिछले ढाई हजार वर्षों से उनकी एक चीज चली आ रही है, वह दिगम्बर मुद्रा है। आज वह दिगम्बर मुद्रा हमको दिखाई दे रही है, आज से 100 साल पहले तो दुर्लभ थी। इसी से आज धर्म का और धर्मात्माओं का वातावरण विद्यमान है।
मुनि श्री सौम्य सागर जी (जिज्ञासा समाधान- 31 मार्च)
One Response
दिगम्बर मुद़ा का उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है। अतः जीवन के कल्याण के लिए दिगम्बरत्व होना परम आवश्यक है।