दीपावली महोत्सव

श्री आर. के. जैन ( Ad.Commissioner) के पास बहुत लोग दीपावली पर मिलने आते थे और बहुत सारी आतिशबाजी भी लाते थे । घर के बच्चे आतिशबाजी चलाते थे तथा सेवकों को भी बांटी जाती थी ।
धीरे धीरे बच्चों में विवेक जागा और उन्होंने आतिशबाजी ना चलाने का नियम लिया । अब आतिशबाजी सेवकों में बंटने लगी ।
अगले वर्षों में सेवकों को भी बंटना बंद हुई और उनके असंतोष के वाबजूद आतिशबाजी ना देने का निर्णय ले लिया गया ।

अहिंसा की रक्षा और वातावरण को प्रदूषण से बचाने के लिये हम सब भी इस संस्मरण से प्रेरणा लें और अपने बच्चों को समझायें ।

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4 Responses

  1. Actually
    fire-crackers
    may
    symbolize
    bursting of ‘anger’ thoughts
    it is better
    that
    ‘anger’ thoughts get burst
    and
    then
    there is real
    Happy(peaceful) Deepawali
    light INSIDE.
    HariBol.

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