देवता विक्रिया से अस्थायी मंदिरादि तो बना सकते हैं,
स्थायी नहीं ।
मुनि श्री सुधासागर जी
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देवता- – जो परमसुख में लीन रहते हैं या जन्म मरण रुप संसार से मुक्ति हो गये हैं या जो धर्म के विधाता हैं वे ही देव कहलाते हैं। देवता भी चार प्रकार के होते हैं। विक़िया का मतलब छोटा, बढ़ा,हल्का भारी आदि अनेक प्रकार के शरीर बना लेना विक़िया कहलाती है।
अतः उक्त कथन सत्य है कि देवता विक़िया से अस्थायी मंन्दिर तो बना सकते हैं लेकिन उनको स्थायी बनाने का अधिकार नहीं है।
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देवता- – जो परमसुख में लीन रहते हैं या जन्म मरण रुप संसार से मुक्ति हो गये हैं या जो धर्म के विधाता हैं वे ही देव कहलाते हैं। देवता भी चार प्रकार के होते हैं। विक़िया का मतलब छोटा, बढ़ा,हल्का भारी आदि अनेक प्रकार के शरीर बना लेना विक़िया कहलाती है।
अतः उक्त कथन सत्य है कि देवता विक़िया से अस्थायी मंन्दिर तो बना सकते हैं लेकिन उनको स्थायी बनाने का अधिकार नहीं है।