देवों के श्रुतज्ञान

देवों के पूर्ण श्रुतज्ञान (द्रव्य) हो सकता है।
पर भाव श्रुतज्ञान नहीं होता।

निर्यापक मुनि श्री सुधासागर जी

यदि भावश्रुत भी होता तो वे श्रुतकेवली न हो जाते !

(कमलाबाई जी)

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4 Responses

  1. मुनि श्री सुधासागर महाराज जी ने देवों के श्रुतज्ञान का उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है।

  2. ‘भावश्रुत’ means ‘द्रव्यश्रुत’ ko accharan me laana, right?

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