देश-रक्षा
देश-रक्षा करते समय प्राणों की आहूति दी तो स्वर्ग ।
राज्य बढ़ाते समय ?
यदि चक्रवर्ती जैसा नियोग है, तो नरक नहीं;
लिप्सा है, तो नरक ।
पं. रतनलाल बैनाड़ा जी
देश-रक्षा करते समय प्राणों की आहूति दी तो स्वर्ग ।
राज्य बढ़ाते समय ?
यदि चक्रवर्ती जैसा नियोग है, तो नरक नहीं;
लिप्सा है, तो नरक ।
पं. रतनलाल बैनाड़ा जी
One Response
उक्त कथन सत्य है कि देश रक्षा करते समय प्राणों की आहुति दी जाती है तो उसको स्वर्ग की प्राप्ति होती हैं, क्योंकि वह देश रक्षा के कारण न कि किसी देश को हड़पने का प्रयास है। जबकि च़कवती आर्य खंड आदि छह खण्डों के अधिपति और बत्तीस हजार राजाओं के स्वामी होते हैं और 9 निधियों और चोदह रत्नों के स्वामी होते है। अतः च़कवती जैसा नियोग है तो नरक नही मिलता है क्योंकि उनको उसमें लिप्सा यानी लगाव न होने के कारण उनको नरक प्राप्त नहीं हो सकता है। उनका योग शुभ था।