चार आना दोष पश्चाताप से नष्ट हो जाता है,
चार आना गुरु को बताने से,
चार आना प्रायश्चित लेने से,
शेष बचा हुआ चार आना दोष सामायिक में बैठने से समाप्त हो जाता है।
आचार्य श्री विद्यासागर जी
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4 Responses
दोष निवारण का तात्पर्य पाप से बचने का उपाय है।
अतः आचार्य श्री विद्यासागर महाराज जी ने दोष निवारण के लिए बताया गया कि चार आना दोष पश्चाताप से नष्ट हो जाता है,चार आना गुरुओं को बताने से,चार आना प्रायश्चित लेने से, इसके अतिरिक्त शेष बचा हुआ चार आना दोष सामायिक में बेठे से समाप्त हो जाता है। अतः जीवन में जो दोष लगता है,उसको उपरोक्त उपायों से समाप्त किया जा सकता है, ताकि जीवन का कल्याण हो सकता है।
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दोष निवारण का तात्पर्य पाप से बचने का उपाय है।
अतः आचार्य श्री विद्यासागर महाराज जी ने दोष निवारण के लिए बताया गया कि चार आना दोष पश्चाताप से नष्ट हो जाता है,चार आना गुरुओं को बताने से,चार आना प्रायश्चित लेने से, इसके अतिरिक्त शेष बचा हुआ चार आना दोष सामायिक में बेठे से समाप्त हो जाता है। अतः जीवन में जो दोष लगता है,उसको उपरोक्त उपायों से समाप्त किया जा सकता है, ताकि जीवन का कल्याण हो सकता है।
‘पश्चाताप’ aur ‘प्रायश्चित’ mein kya difference hai ?
पश्चाताप = स्वयं के द्वारा अफसोस
प्रायश्चित = प्रायः गुरु से दंड के रुप में लिया जाता है।
Okay.