द्रव्य – गुणों का समुदाय ।
तत्त्व – भाव/सारभूत जैसे चेतना लक्षण जीव में
मुनि श्री प्रणम्यसागर जी
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द़व्य का मतलब गुण और पर्याय के समूह को कहते हैं,जो उत्पाद व्यय और ध्रौव्य से युक्त है। द़व्य भी छै प़कार के होते हैं।तत्व का मतलब जिस वस्तु जो भाव है, वही तत्त्व होता है उपरोक्त सात प़कार के होते हैं।
उपरोक्त कथन सत्य है कि द़व्य गुणों का समुदाय। तत्व यानी भाव एवं सारभूत जैसे चेतना लक्षण जीव में होते हैं। अतः सात तत्वों पर श्रद्वान रखना चाहिए ताकि जीवन का कल्याण हो सकता है।
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द़व्य का मतलब गुण और पर्याय के समूह को कहते हैं,जो उत्पाद व्यय और ध्रौव्य से युक्त है। द़व्य भी छै प़कार के होते हैं।तत्व का मतलब जिस वस्तु जो भाव है, वही तत्त्व होता है उपरोक्त सात प़कार के होते हैं।
उपरोक्त कथन सत्य है कि द़व्य गुणों का समुदाय। तत्व यानी भाव एवं सारभूत जैसे चेतना लक्षण जीव में होते हैं। अतः सात तत्वों पर श्रद्वान रखना चाहिए ताकि जीवन का कल्याण हो सकता है।