सच्ची परिभाषायें –
धर्म – जो दया से विशुद्ध (क्योंकि धर्म तो सब जीवों को सुख देने वाला होता है)
गुरु – सर्व परिग्रह त्यागी
देव – मोह से रहित
आ. कुंदकुंद – अष्टपाहुड़ – गाथा 8 (डॉ. पुलक गोयल)
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उपरोक्त धर्म, गुरु,देव की परिभाषा बताई गई है वह पूर्ण सत्य है।
धर्म ही सभी जीवों का कल्याण करता है,
गुरु तो सर्व परिग़ह त्यागी होता है,
जबकि देव मोह से रहित होता है।
अतः जीवन में धर्म और गुरु पर श्रद्वान होना परम आवश्यक है ताकि जीवन का कल्याण हो सकता है।
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उपरोक्त धर्म, गुरु,देव की परिभाषा बताई गई है वह पूर्ण सत्य है।
धर्म ही सभी जीवों का कल्याण करता है,
गुरु तो सर्व परिग़ह त्यागी होता है,
जबकि देव मोह से रहित होता है।
अतः जीवन में धर्म और गुरु पर श्रद्वान होना परम आवश्यक है ताकि जीवन का कल्याण हो सकता है।