किसी ने कहा – “बचपन में बुढ़िया मर गयी”,
यानि !
मरने से कुछ साल पहले उसने धर्म में प्रवेश किया था ।
सावधान !!
हमारे मरने के बाद हमारे लिये सब यह ना कहें,
इसलिये समय रहते धर्म शुरू कर दें ।
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धर्म-समग्यदर्शन,समक्ज्ञान और समक्चारित्र ही धर्म है या जो जीवों को संसार के दुखों से बचाकर मोक्ष सुख पहुचाये वही धर्म होता हैं।
अतः धर्म सयय रहते शुरू करना चाहिए ताकि कल्याण हो सकता है।
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धर्म-समग्यदर्शन,समक्ज्ञान और समक्चारित्र ही धर्म है या जो जीवों को संसार के दुखों से बचाकर मोक्ष सुख पहुचाये वही धर्म होता हैं।
अतः धर्म सयय रहते शुरू करना चाहिए ताकि कल्याण हो सकता है।