धर्म
धर्म को Washing Powder ना मानें कि पहले प्रयोग करें फिर विश्वास करें,
बल्कि बीमा जैसा मानना – “जीवन के साथ भी, जीवन के बाद भी”
मुनि श्री प्रमाणसागर जी
धर्म को Washing Powder ना मानें कि पहले प्रयोग करें फिर विश्वास करें,
बल्कि बीमा जैसा मानना – “जीवन के साथ भी, जीवन के बाद भी”
मुनि श्री प्रमाणसागर जी
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धर्म—सम्यग्दर्शन, सम्यक्ज्ञान और सम्यक्चारित्र ही होता है।अतः इस पर श्रद्वा होनी चाहिए न कि पहिले washing powder की तरह प़योग करने पर विश्वास करते हैं।इसको बीमा जैसा मानना चाहिए जो जीवन के साथ और जीवन के बाद भी होता है।अतः जीवन में धर्म पर श्रद्वान होना चाहिए ताकि कल्याण हो सके।