धर्म….
पाप काटने के लिये नहीं,
पाप से बचने के लिये करना चाहिए ।
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धर्म का मतलब सम्यग्दर्शन सम्यक्ज्ञान और सम्यक्चारित्र मरित्र पर श्रद्वान होना होता है, अथवा अर्धम नहीं करना चाहिए। अतः मुनि श्री सुधासागर महाराज जी का कथन सत्य है कि पाप काटने के लिए नहीं बल्कि पाप से बचने का प्रयास करना परम आवश्यक है।
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धर्म का मतलब सम्यग्दर्शन सम्यक्ज्ञान और सम्यक्चारित्र मरित्र पर श्रद्वान होना होता है, अथवा अर्धम नहीं करना चाहिए। अतः मुनि श्री सुधासागर महाराज जी का कथन सत्य है कि पाप काटने के लिए नहीं बल्कि पाप से बचने का प्रयास करना परम आवश्यक है।