1. निश्चय नय → कर्म/ संसार/ आस्रव तथा मोक्ष को भी नहीं स्वीकारता। सिर्फ शुद्ध स्वरूप को मानता है। गंतव्य/ लक्ष्य/ मंज़िल पर दृष्टि रखता है।
2. व्यवहार नय → गंतव्य/ लक्ष्य/ मंज़िल की दिशा में ले जाने वाला।
कमलकांत
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श्री कमलकांत ने नय का उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है। अतः जीवन के कल्याण के लिए निश्चय नय एवं व्यवहार नय का आलंमन लेना परम आवश्यक है।
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श्री कमलकांत ने नय का उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है। अतः जीवन के कल्याण के लिए निश्चय नय एवं व्यवहार नय का आलंमन लेना परम आवश्यक है।