प्लास्टिक सर्जरी करा कर असुंदर भी सुंदर हो सकता है,
बशर्ते…
उसकी सत्ता में शुभ-नामकर्म हो ।
मुनि श्री सुधासागर जी
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One Response
कर्म- – जीव मन वचन काय के द्वारा प़तिक्षण कुछ न कुछ करता है वह सब उसकी क़िया या कर्म है। कर्म के द्वारा जीव परतंत्र होता है और संसार में भटकता है। कर्म तीन प्रकार के होते हैं द़व कर्म,भाव कर्म और नो कर्म। नाम कर्म- – जिस कर्म के उदय से जीव देव,नारकी,तिर्यंच या मनुष्य कहलाता है वह नाम कर्म है अथवा जो नाना प्रकार के शरीर की रचना करता है वह नाम कर्म कहलाता है। इसके तैरानवे भेद अभेद होते हैं जैसे गति,जाति, संस्थान आदि भेद हैं।
प्लास्टिक सर्जरी करवाकर असुंदर और सुन्दर हो सकता है बशर्ते उसकी सत्ता में शुभ-नाम कर्म हो।
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कर्म- – जीव मन वचन काय के द्वारा प़तिक्षण कुछ न कुछ करता है वह सब उसकी क़िया या कर्म है। कर्म के द्वारा जीव परतंत्र होता है और संसार में भटकता है। कर्म तीन प्रकार के होते हैं द़व कर्म,भाव कर्म और नो कर्म। नाम कर्म- – जिस कर्म के उदय से जीव देव,नारकी,तिर्यंच या मनुष्य कहलाता है वह नाम कर्म है अथवा जो नाना प्रकार के शरीर की रचना करता है वह नाम कर्म कहलाता है। इसके तैरानवे भेद अभेद होते हैं जैसे गति,जाति, संस्थान आदि भेद हैं।
प्लास्टिक सर्जरी करवाकर असुंदर और सुन्दर हो सकता है बशर्ते उसकी सत्ता में शुभ-नाम कर्म हो।