नारकियों का अवधिज्ञान

नारकियों के अवधिज्ञान की पहुँच बहुत कम होती है, अपनी दुश्मनी निभाने लायक ।

मुनि श्री प्रणम्यसागर जी

Share this on...

One Response

  1. अवधिज्ञान का तात्पर्य जो द़व्य, क्षेत्र,काल आदि की सीमा में रहकर सभी पदार्थों को प़त्यक्ष जानना होता है, इसमें छह भेद होते हैं, जिसमें अवस्थित और अनवस्थित भी होते हैं। अतः उपरोक्त कथन सत्य है कि नारकियों के अवधिज्ञान की पहुंच बहुत कम होती है,उनको अपनी दुश्मनी निभाने लायक ही रहती है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This question is for testing whether you are a human visitor and to prevent automated spam submissions. *Captcha loading...

Archives

Archives

April 30, 2021

November 2024
M T W T F S S
 123
45678910
11121314151617
18192021222324
252627282930