निंदा
परोक्ष में निंदा से उसका (जिसकी निंदा की जा रही है) बुरा नहीं, निंदा करने वाले का अवश्य,
प्रत्यक्ष में निंदा से उसका भला, अपना भी ।
मुनि श्री कुंथुसागर जी
परोक्ष में निंदा से उसका (जिसकी निंदा की जा रही है) बुरा नहीं, निंदा करने वाले का अवश्य,
प्रत्यक्ष में निंदा से उसका भला, अपना भी ।
मुनि श्री कुंथुसागर जी