कषाय की तीव्रता से या त्रस-काल पूर्ण करने से निगोद-बंध तथा निकलते हैं कषाय की मंदता से।
पाप की तीव्रता से नरक !
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उपरोक्त कथन सत्य है कि कषाय की तीव्रता में या त्रस काल पूर्ण करने से निगोद बंध तथा निकलते हैं कषाय की मंदता से! जबकि पाप की तीव्रता से नरक! अतः जीवन में कषाय एवं पाप की मंदता कम होना परम आवश्यक है ताकि जीवन का कल्याण हो सकता है!
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उपरोक्त कथन सत्य है कि कषाय की तीव्रता में या त्रस काल पूर्ण करने से निगोद बंध तथा निकलते हैं कषाय की मंदता से! जबकि पाप की तीव्रता से नरक! अतः जीवन में कषाय एवं पाप की मंदता कम होना परम आवश्यक है ताकि जीवन का कल्याण हो सकता है!