पुण्य निमित्त का नहीं उपादान का होता है,
तभी निमित्त मिलता है ।
मुनि श्री सुधासागर जी
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उपादान—किसी कार्य के होने से जो स्वयं उस कार्य रुप परिणमन करे वह उपादान कारण कहलाता है। जैसे रोटी के बनने के लिए गीला आटा उपादान कारण है।। निमित्त—जो कार्य के होने में सहयोगी हो या जिसके बिना कार्य न हो उसे कहते है अतः उचित निमित्त के होने पर तदानुसार ही कार्य होता है। अतः यह कथन सत्य है कि पुण्य निमित्त का नही बल्कि उपादान का होता है,तभी निमित्त मिलता है।
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उपादान—किसी कार्य के होने से जो स्वयं उस कार्य रुप परिणमन करे वह उपादान कारण कहलाता है। जैसे रोटी के बनने के लिए गीला आटा उपादान कारण है।। निमित्त—जो कार्य के होने में सहयोगी हो या जिसके बिना कार्य न हो उसे कहते है अतः उचित निमित्त के होने पर तदानुसार ही कार्य होता है। अतः यह कथन सत्य है कि पुण्य निमित्त का नही बल्कि उपादान का होता है,तभी निमित्त मिलता है।