निमित्त से तो हम बच नहीं सकते, पर नैमित्तिक से बच सकते हैं ।
(नैमित्तिक = निमित्त का प्रभाव)
मुनि श्री प्रमाणसागर जी
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निमित्त-कारण – – जीवन में कार्य के होने में सहयोग या जिसके बिना कार्य न हो वह निमित्त कारण होते हैं। कुछ निमित्त धर्म द़व्य आदि के समान उदासीन होते हैं और कुछ गुरु आदि के सामने प़ेरक भी होते हैं। उचित निमित्त के होने पर तदानुसार ही कार्य होते हैं। अतः उक्त कथन सत्य है कि निमित्त से हम बच नहीं सकते हैं बल्कि नैमित्तिक से बच सकते हैं।
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निमित्त-कारण – – जीवन में कार्य के होने में सहयोग या जिसके बिना कार्य न हो वह निमित्त कारण होते हैं। कुछ निमित्त धर्म द़व्य आदि के समान उदासीन होते हैं और कुछ गुरु आदि के सामने प़ेरक भी होते हैं। उचित निमित्त के होने पर तदानुसार ही कार्य होते हैं। अतः उक्त कथन सत्य है कि निमित्त से हम बच नहीं सकते हैं बल्कि नैमित्तिक से बच सकते हैं।