निमित्त / नियति

निमित्त तथा नियति को एक समय में एक को ही महत्व देने का मतलब उसकी अधीनता स्वीकार करना। लेकिन दोनों तथा अन्य कारणों (पाँचों संवाय जैसे स्वयं की क्षमतादि) को महत्व देने का मतलब किसी एक की अधीनता को नहीं स्वीकारना।

शांतिपथ प्रदर्शक

Share this on...

4 Responses

  1. निमित्त एवं नियति को परिभाषित किया गया है वह पूर्ण सत्य है। अतः जीवन के कल्याण के लिए निमित्त एवं नियति पर भरोसा करना परम आवश्यक है।

    1. 1)पुरुषार्थ
      2)निमित्त
      3)होनहार/ भव्यत्वता
      4)काललब्धि
      5)उपादान/ आंतरिक योग्यता।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This question is for testing whether you are a human visitor and to prevent automated spam submissions. *Captcha loading...

Archives

Archives
Recent Comments

April 28, 2024

November 2024
M T W T F S S
 123
45678910
11121314151617
18192021222324
252627282930