निर्वाण दिवस
भावना भायें → मैं ऐसा बनूँ।
प्रभावना → सब जानें/ वैसे बनें।
सिर्फ महावीर भगवान का मनाने का नुकसान भी → जैन धर्म 2600 वर्ष पुराना है।
आदिनाथ भगवान ने संसार और परमार्थ की शिक्षा दी, उनका अवश्य मनाना चाहिये, “तीर्थकर दिवस” के रूप में।
निर्यापक मुनि श्री सुधासागर जी
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मुनि श्री सुधासागर महाराज जी ने निर्वाण दिवस को परिभाषित किया गया है वह पूर्ण सत्य है। अतः जीवन में कल्याण के लिए इस दिवस पर बैराग्य की भावना ध्यान रखना परम आवश्यक है।