नेकी
एक काफिला सफ़र के दौरान अँधेरी सुरंग से गुजर रहा था । उनके पैरों में कंकरियाँ चुभीं,
कुछ लोगों ने इस ख्याल से कि किसी और को ना चुभ जाये,
नेकी की खातिर उठाकर जेब में रख लीं ।
कुछ ने ज्यादा उठायीं कुछ ने कम।
जब अँधेरी सुरंग से बाहर आये तो देखा वो हीरे थे ।
जिन्होंने कम उठाये वो पछताए कि ज्यादा क्यों नहीं उठाये ।
जिन्होंने नहीं उठाए वो और पछताए ।
दुनियाँ में जिन्दगी की मिसाल इस अँधेरी सुरंग जैसी है और नेकी यहाँ कंकरियों की मानिंद है ।
इस जिंदगी में जो नेकी की वो आखिर में हीरे की तरह कीमती होगी और इन्सान तरसेगा कि और ज्यादा क्यों ना की ।