नेतृत्व

आप धर्म/ स्वाध्याय कराते हो तो कर लेते हैं। आप इंजन, हम डिब्बे हैं।

सुभाष-नया बाजार मंदिर

हरेक में इंजन बनने की क्षमता है। बस भाप पैदा करनी होगी। जीवन में इंजन का इंतज़ार मत करते रह जाओ। डिब्बा बने रहने से तो “डिब्बा गोल” हो जायेगा।

चिंतन

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One Response

  1. चितनं में नेत्तृत्व को परिभाषित किया गया है वह पूर्ण सत्य है। अतः जीवन में इंजन बनने की क्षमता होना परम आवश्यक है ताकि सभी डिब्बे साथ में जा सकतें है। अतः जीवन में नेत्तृत्व करना चाहिए ताकि जीवन में उसके साथ सभी चल सकतें है।

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