नेत्रदान
एक 18 साल का लड़का ट्रेन में खिड़की के पास वाली सीट पर बैठा था ।
अचानक वो ख़ुशी में जोर से चिल्लाया पिताजी, वो देखो, पेड़ पीछे जा रहे हैं ।
उसके पिता ने स्नेह से उसके सर पर हाथ फिराया, वो लड़का फिर चिल्लाया पिताजी वो देखो, आसमान में बादल भी ट्रेन के साथ साथ चल रहे हैं ।
पिता की आँखों से आंसू निकल गए, पास बैठा आदमी ये सब देख रहा था, उसने कहा इतना बड़ा होने के बाद भी आपका लड़का बच्चों जैसी हरकतें कर रहा है ।
आप इसको किसी अच्छे डॉक्टर को क्यों नहीं दिखाते ?
पिता ने कहा कि वो लोग डॉक्टर के पास से ही आ रहे हैं, मेरा बेटा जन्म से अँधा था, आज ही उसको नयी आँखें मिली हैं ।
नेत्रदान करें, किसी की जिंदगी में रोशनी भरें ।