गुरु-परम्परा के ऊपर आगम-परम्परा होती है ।
आगम-परम्परा में भी, सबसे पुरानी वाली को मान्य मानें ।
मुनि श्री सुधासागर जी
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आगम-परम्परा भगवान् आदिनाथ से लेकर भगवान् श्री महावीर स्वामी तक चलती रही है। उसी परम्परा को गुरुओं द्वारा दी जा रही है जिसका श्रमण कर पालन करना चाहिए ताकि जैन धर्म की रक्षा हो सकती है।
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आगम-परम्परा भगवान् आदिनाथ से लेकर भगवान् श्री महावीर स्वामी तक चलती रही है। उसी परम्परा को गुरुओं द्वारा दी जा रही है जिसका श्रमण कर पालन करना चाहिए ताकि जैन धर्म की रक्षा हो सकती है।