मछली घोंघे को ग्रहण करती है तो मछली समाप्त हो जाती है*, लोहा जंग को ग्रहण करता है तो लोहा समाप्त।
मनुष्य परिग्रह को ग्रहण करता है, मनुष्य समाप्त हो जाता है।
मुनि श्री सौम्य सागर जी (प्रवचन- 24 फ़रवरी)
* घोंघे का बाहरी खोल बहुत हार्ड होता है।
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परिग्रह का उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है। अतः जीवन के कल्याण के लिए परिग्रह का त्याग करना परम आवश्यक है।
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परिग्रह का उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है। अतः जीवन के कल्याण के लिए परिग्रह का त्याग करना परम आवश्यक है।