बाइस परिषह पूरी तरह सहने से “जय”।
“तप”…प्रवीण होने के लिये, उत्तर-गुण।
मुनि श्री प्रणम्यसागर जी
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मुनि महाराज जी का कथन सत्य है कि बाइस परिषह पूरी तरह सहने से जय होता है! जबकि तप प़वीण होने के लिए, उत्तर गुण होते हैं! जीवन में बारह परिषह एवं तप करने वाले ही मोक्ष को प़ाप्त करने में समर्थ होते हैं!
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मुनि महाराज जी का कथन सत्य है कि बाइस परिषह पूरी तरह सहने से जय होता है! जबकि तप प़वीण होने के लिए, उत्तर गुण होते हैं! जीवन में बारह परिषह एवं तप करने वाले ही मोक्ष को प़ाप्त करने में समर्थ होते हैं!